2 पल्ले वाले दरवाजे : पुराने समय में स्कूल की छुट्टियों में सभी अपने नाना-नानी के घर जाया करते थे जो गाँव दूर शहर में रहते थे वो भी अपना दादा-दादी के घर मस्ती करने के लिए जाते थे. इस दौरान एक बात काफी कॉमन हुआ करती थी कि घर के दरवाजे हमेशा दो पल्ले वाले हुआ करते थे. हालंकि अब ज्यादातर घरों में एक पल्ले वाला दरवाजा ही लगाया जाता हैं.
बताया जाता हैं कि घरों में दो पल्ले का दरवाजा लगाने के पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण हुआ करते थे. इसी बीच आज इस लेख में हम जानेगे कि आखिर घरो में दो पल्ले का दरवाजा लगाने की पीछे कारण क्या हुआ करता था.
घरों में क्यों होते थे 2 पल्ले के दरवाजे?
नार्मली देखा जाए तो 2 पल्ले वाले दरवाजे बेहद मजबूत होते हैं और इन्हें तोड़ पाना या फिर इनमें लगी लोहे की कड़ी को खोल पाना इतना आसान नहीं होता हैं. ऐसे में एक कारण तो ये हैं कि घरों की सुरक्षा के मद्देनजर लोग अपने घरों में 2 पल्ले वाले दरवाजे बनवाते थे.
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बात ज्योतिष करें तो शास्त्र कहता है कि घरों में 2 पल्ले के दरवाजे के दोनों पल्ले ज्योतिष में वर्णित दोनों पाप ग्रहों को रोकने के लिए बनाए जाते थे. माना ये जाता हैं कि घर को राहु और केतु के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए दो पल्ले का दरवाजा लगाया जाता था.
ज्योतिष के मुताबिक राहु और केतु वो पाप ग्रह होते हैं जोकि हमेशा घर के मेन गेट से ही एंट्री करते हैं जबकि अन्य बाकि ग्रह बेहद शुभ होते हैं. यही कारण हैं कि वह किसी भी दिशा से घर में प्रवेश कर सकते हैं. ऐसे में ये भी माना जाता हैं कि घर से राहु और केतु की अशुभता को बाहर रखने के लिए घरों में 2 पल्ले वाले दरवाजे बनाए जाते थे.